• वसा शरीर को क्रियाशील बनाए रखने में सहयोग करती है। वसा शरीर के लिए उपयोगी है, किंतु इसकी अधिकता हानिकारक भी हो सकती है। यह मांस तथा वनस्पति समूह दोनों प्रकार से प्राप्त होती है। इससे शरीर को दैनिक कार्यों के लिए शक्ति प्राप्त होती है।
• वसा को शक्तिदायक ईंधन भी कहा जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए 100 ग्राम चिकनाई का प्रयोग करना आवश्यक है। इसको पचाने में शरीर को काफ़ी समय लगता है। यह शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता को कम करने के लिए आवश्यक होती है।
• वसा का शरीर में अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाना उचित नही होता । यह संतुलित आहार द्वारा आवश्यक मात्रा में ही शरीर को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। अधिक मात्रा जानलेवा भी हो सकती है।
• खाद्य पदार्थों दो प्रकार की वसा होती है: संतृप्त (Saturated), असंतृप्त (Unsaturated) वसा। संतृप्त वसा नुकसानदेह कोलेस्ट्रॉल बढ़ाती है, इसे सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए। मक्खन, शुद्ध घी, वनस्पति घी, नारियल और ताड़ का तेल संतृप्त वसा के प्रमुख स्रोत हैं। असंतृप्त वसा सीमित मात्रा में ठीक कही जा सकती है। असंतृप्त वसा के प्रमुख स्रोत मूंगफली, सरसों, सूरजमुखी, सोयाबीन तेल हैं ।
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