Skip to main content

कबीरदास जी के 15 प्रसिद्ध दोहे हिंदी अर्थ सहित

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯

1-बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

➡अर्थ :
जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला. जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है.

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯
2-तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।

➡अर्थ :
कबीर कहते हैं कि एक छोटे से तिनके की भी कभी निंदा न करो जो तुम्हारे पांवों के नीचे दब जाता है. यदि कभी वह तिनका उड़कर आँख में आ गिरे तो कितनी गहरी पीड़ा होती है !

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯
3-बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि,
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।

➡अर्थ :
यदि कोई सही तरीके से बोलना जानता है तो उसे पता है कि वाणी एक अमूल्य रत्न है। इसलिए वह ह्रदय के तराजू में तोलकर ही उसे मुंह से बाहर आने देता है.

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯
4-अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।

➡अर्थ :
न तो अधिक बोलना अच्छा है, न ही जरूरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक है. जैसे बहुत अधिक वर्षा भी अच्छी नहीं और बहुत अधिक धूप भी अच्छी नहीं है.

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯
5-कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर,
ना काहू से दोस्ती,न काहू से बैर.

➡अर्थ :
इस संसार में आकर कबीर अपने जीवन में बस यही चाहते हैं कि सबका भला हो और संसार में यदि किसी से दोस्ती नहीं तो दुश्मनी भी न हो !

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯
6-जब गुण को गाहक मिले, तब गुण लाख बिकाई.
जब गुण को गाहक नहीं, तब कौड़ी बदले जाई.

➡अर्थ :
कबीर कहते हैं कि जब गुण को परखने वाला गाहक मिल जाता है तो गुण की कीमत होती है. पर जब ऐसा गाहक नहीं मिलता, तब गुण कौड़ी के भाव चला जाता है.

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯
7- दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥

➡अर्थ :
कबीर दास जी कहते हैं कि दुःख के समय सभी भगवान् को याद करते हैं पर सुख में कोई नहीं करता। यदि सुख में भी भगवान् को याद किया जाए तो दुःख हो ही क्यों !

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯
8-साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय ।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥

➡अर्थ :
कबीर दस जी कहते हैं कि परमात्मा तुम मुझे इतना दो कि जिसमे बस मेरा गुजरा चल जाये , मैं खुद भी अपना पेट पाल सकूँ और आने वाले मेहमानो को भी भोजन करा सकूँ।

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯
9-काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ।
पल में प्रलय होएगी,बहुरि करेगा कब ॥

➡अर्थ :
कबीर दास जी समय की महत्ता बताते हुए कहते हैं कि जो कल करना है उसे आज करो और और जो आज करना है उसे अभी करो , कुछ ही समय में जीवन ख़त्म हो जायेगा फिर तुम क्या कर पाओगे !!

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯
10- लूट सके तो लूट ले,राम नाम की लूट ।
पाछे फिर पछ्ताओगे,प्राण जाहि जब छूट ॥

➡अर्थ :
कबीर दस जी कहते हैं कि अभी राम नाम की लूट मची है , अभी तुम भगवान् का जितना नाम लेना चाहो ले लो नहीं तो समय निकल जाने पर, अर्थात मर जाने के बाद पछताओगे कि मैंने तब राम भगवान् की पूजा क्यों नहीं की ।

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯
11- एसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय ।
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय ॥

➡अर्थ :
अगर अपने भाषा से अहं को हटा दिया जाए, तो दूसरों के साथ खुद को भी शान्ति मिलती है।

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯
12- बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर ।
पंथी को छाया नही फल लागे अति दूर ॥

➡अर्थ :
खजूर का पेड़ न तो राही को छाया देता है, और न ही उसका फल आसानी से पाया जा सकता है। इसी तरह, उस शक्ति का कोई महत्व नहीं है, जो दूसरों के काम नहीं आ सकती।

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯
13- कबीरा गर्व ना कीजिये, ऊंचा देख आवास ।
काल पड़ो भू लेटना, ऊपर जमसी घास ॥

➡अर्थ :
अपना शक्ति और संपत्ति देख कर घमंडी मत बनिए। जब इस शरीर से आत्मा निकल जाती हैं तो सबसे शक्तिशाली मनुष्य का देह भी धरती में दाल दिया जाता है, और उसके ऊपर घास उग जाती है।

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯
  14-माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय ।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय ॥

➡अर्थ :
मिट्टी कुम्हार से कहती है कि आज तो तू मुझे पैरों के नीचे रोंद रहा है, लेकिन एक दिन ऐसा आएगा, कि तू मेरे तले होगा | अर्थात, जीवन में मनुष्य चाहे जितना भी शक्तिशाली हो, मृत्यु के बाद उसका शरीर मिट्टी हो जाता है |

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯
15-सतगुरु मिला तो सब मिले, ना तो मिला न कोय ।
मात पिता सूत बान्धवा, यह तो घर घर होय ॥

➡अर्थ :
जिसने एक सच्चा गुरु पा लिया, उसने मानो सारा संसार पा लिया। माता, पिता, बच्चे और दोस्त तो सभी के होते हैं, लेकिन गुरु का भाग्य सबको नहीं मिलता।
🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯




Comments

Popular posts from this blog

रहीम दास जी के 15 प्रसिद्ध दोहे हिंदी अर्थ सहित

          🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 1-बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय. रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय. अर्थ : मनुष्य को सोचसमझ कर व्यवहार करना चाहिए,क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा. 🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 2-रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय. टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय. अर्थ : रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है. 🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 3-रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि. जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि. अर्थ : रहीम कहते हैं कि बड़ी वस्तु को देख कर छोटी वस्तु को फेंक नहीं देना चाहिए. जहां छोटी सी सुई काम आती है, वहां तलवार बेचारी क्या कर सकती है? 🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 4-रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ ब...

Contact us

Hello               If u want to contact us regarding any QUIERY , suggestions , question or any other problem please contact us on our  ON OUR FACEBOOK PAGE  FACEBOOK PAGE