• नमक : सोडियम क्लोराइड (sodium chloride) भोजन में रुचि बढ़ाता है और शरीर के जल और लवण के संतुलन देता है। इसके अभाव में दुर्बलता और थकावट मालूम होती है। अधिक नमक से शोथ होता है। औसत प्रतिदिन 8-10 ग्राम खाया जाता है। यह नमक खाने, दूध और सब्जियों से प्राप्त होता है।
• कैल्सियम (Calcium) : पोषण के लिये 0.9 से 1 ग्राम तक कैल्सियम की आवश्यकता प्रतिदिन पड़ती है। यह मात्रा ढ़ाई पाव दूध से प्राप्त हो सकती है। सब्जी, अनाज और आमिषाहार में भी यह भिन्न भिन्न मात्राओं में पाया जाता है। बढ़नेवाले बच्चे, गर्भवती और दूध पिलानेवाली स्त्रियों के लिये इसकी मात्रा प्रतिदिन लगभग 1.5 ग्राम होना जरूरी है। इसके अभाव में हड्डियॉ ठीक से नहीं बनतीं और सुखंडी रोग हो जाता है। गर्भवती और दूध पिलानेवाली स्त्री के आहार में कैल्सियम की कमी से उसकी हड्डी से कैल्सियम निकलकर हड्डियाँ कोमल होकर ओस्टेमेलेशिया (ostomalecia) का रोग हो सकता है।
• फॉसफोरस : पोषण के हेतु इसकी मात्रा कम लगती है। किलोग्राम भारवाले व्यक्ति के लिये 0.88 ग्राम फॉस्फोरस पर्याप्त 3,000 कैलोरी के आहार से इसकी कमी का कोई भय नहीं।
• लोह (Iron) : पोषण के लिये प्रति दिन 12 मिली लोहे की आवश्यकता है। इसकी मात्रा गर्भावस्था तथा दूध देने की अवस्था में बढ़ जाती है। इसकी कमी से एक प्रकार की रक्तहीनता (anaemia) होती है।
• आयोडीन (Iodine) : नाम मात्र से पोषण के लिये उपयुक्त है। यह थाईरायड के हॉरमोन (Thyroid hormone) के बहुत जरूरी है। इस हॉरमोन की कमी से बौनापन (cretinism) और मिक्सीडिमा (myxidoema, एक प्रकार का शोथ) है। यदि पीने के पानी में इसकी मात्रा कम हुई तब विकृत घेघे के रूप में प्रकट होता है।
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