• पोषण (nutrition) वह विशिष्ट रचनात्मक उपचयी क्रिया जिसके अन्तर्गत पादपों में संश्लेषण तथा स्वांगीकरण और विषमपोषी जन्तुओं में भोज्य अवयव के अन्तःग्रहण, पाचन, अवशोषण, स्वांगीकरण द्वारा प्राप्त उर्जा से शारीरिक वृद्धि, मरम्मत, ऊतकों का नवीनीकरण और जीवन क्रियाओं का संचालन होता है, सामूहिक रूप में पोषण कहलाती है।
• न्यून पोषण (under-nutrition) अवस्था के अंदर अल्पाहार से पोषण का स्तर उपयुक्त नहीं रहता
• कुपोषण (malnutrition) की अवस्था में एक या अनेक पोषक तत्व प्रतिदिन भोजन में रहते ही नहीं। इसलिये शरीर में कुपोषण के चिह्न दिखाई पड़ते हैं। "न्यून पोषण" वाले व्यक्ति दुर्बल और कम वजनवाले होते हैं एवं यह बच्चों के विकास में एक गंभीर समस्या है ।
• जीवों को उनके ऊर्जा ग्रहण करने के अनुसार स्वपोषक और परपोषी में बांटा जाता है ।
• स्वपोषी (Autographs) वे सजीव हैं जो साधारण अकार्बनिक अणुओं से जटिल कार्बनिक यौगिको का निर्माण कर सकते हैं। इस कार्य के लिए आवश्यक उर्जा के लिए वे प्रकाश या रासायनिक उर्जा का उपयोग करते हैं। स्वपोषी सजीवों को खाद्य श्रृंखला में उत्पादक कहा जाता है। हरे पेड़-पौधें प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण के द्वारा अपना भोजन स्वंय बनाते हैं तथा स्वपोषी कहलाते हैं।
• परपोषी (heterotroph) वे जीव हैं जो स्वयं कार्बन स्थिरीकरण नहीं कर सकते और वृद्धि के लिये जैविक कार्बन पर निर्भर करते हैं। परपोषी कार्बनिक यौगिकों को पचाने से पोषण प्राप्त उन है कि जीव हैं । पशु , कवक भोजन के रूप में उपयोग करने के लिए कार्बनिक यौगिकों संश्लेषण (synthesize) करने में असमर्थ हैं । पशु मुख्य रूप से परपोषी हैं ।
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