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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम(1857-1947)

•ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1600 में कंपनी व्यापारियों की लंदन के ईस्ट इंडीज में व्यापार के रूप में स्थापित किया गया था

•1612 में मुगल बादशाह जहांगीर ने सूरत में एक कारखाना खोलने की इजाजत दी थी

•प्लासी की लड़ाई (1757) और बक्सर की लड़ाई (1764) में जीत के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी की शक्ति मजबूत हुई

•वर्ष 1757 ने प्लाासी के युद्ध के बाद ब्रिटिश जनों ने भारत पर राजनैतिक अधिकार प्राप्त कर लिया और उनका प्रभुत्वव लॉर्ड डलहौजी के कार्य काल में यहां स्थापित हो गया जो 1848 में गवर्नर जनरल बने।

•ब्रिटिश द्वारा जमीनदारी प्रथा से जदूरों को भारी करों के दबाव से कुचल डाला गया था, इससे जमीन के मालिकों का एक नया वर्ग बना।

•1857 की क्रांति का प्रमुख कारण था, हिन्दु तथा मुस्लिम दोनों ही सैनिकों ने गाय और सुअर की चर्बी लगी हुई कारतूसों का उपयोग करने से मना कर दिया, जिन्हें 9 मई 1857 को अपने साथी सैनिकों द्वारा क्रांति करने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया।

•1857 की क्रांति के प्रमुख केंद्र थे : दिल्ली, अवध, रोहिलखण्ड, बुंदेलखण्ड, इलाहबाद, आगरा, मेरठ और पश्चिमी बिहार था

•1857 की क्रांति के प्रमुख थे: मंगल पण्डे, तात्या टोपे, नाना साहेब और झांसी की रानी लक्ष्मी बाई जिन्होंने ब्रिटिश सेना के साथ एक शानदार युद्ध लड़ा

•1857 की क्रांति को ब्रिटिश राज द्वारा एक वर्ष के अंदर नियंत्रित कर लिया गया जो 10 मई 1857 को मेरठ में शुरू हुई और 20 जून 1858 को ग्वालियर में समाप्त हुई।

•1857 के विद्रोह की असफलता के परिणामस्वारूप, भारत में ईस्ट् इन्डिया कंपनी के शासन का अंत भी दिखाई दने लगा तथा भारत के प्रति ब्रिटिश शासन की नीतियों में महत्व पूर्ण परिवर्तन हुए •रानी विक्टोारिया के 1 नवम्बर 1858 की घोषणा के अनुसार भारत का शासन ब्रिटिश राजा के द्वारा सीधा शासन होगा

•राजा राम मोहन राय, बंकिम चन्द्र और ईश्वरचन्द्र विद्यासागर जैसे सुधारवादियों के हाथों में चला गया। इस दौरान राष्ट्रीय एकता की मनोवैज्ञानिक संकल्पंना भी, एक सामान्य विदेशी अत्याचारी/तानाशाह के विरूद्ध संघर्ष की आग को धीरे-धीरे आगे बढ़ाती रही।

•राजा राम मोहन राय (1772-1833) ने समाज को उसकी बुरी प्रथाओं से मुक्त करने के उद्देश्य से 1828 में ब्रह्मा समाज की स्थापना की। उन्होंने सती, बाल वि‍वाह व पर्दाप्रथा जैसी बुरी प्रथाओं को समाप्त करने के लिए काम किया।

•स्वामी विवेकानन्द (1863-1902), जो रामकृष्णश परमहंस के शिष्य/अनुयायी थे, ने 1897 में वेलूर में रामकृष्ण् मिशन की स्थापना की। उन्होंने वेदांतिक दर्शन की सर्वोच्चता का समर्थन किया। 1893 में शिकागो की विश्व धर्म कांफ्रेस में उनके भाषण ने, पहली बार पश्चिमी लोगों को, हिंदू धर्म की महानता को समझने पर मज़बूर किया।

•भारतीय राष्ट्रींय आंदोलन की नींव, सुरेन्द्र नाथ बनर्जी द्वारा 1876 में कलकत्ता में भारत एसोसिएशन के गठन के साथ रखी गई। एसोसिएशन का उद्देश्य शिक्षित मध्यरम वर्ग का प्रतिनिधित्व करना, भारतीय समाज को संगठित कार्यवाही के लिए प्रेरित करना था। एक प्रकार से भारतीय एसोसिएशन, भारतीय राष्ट्रीैय कांग्रेस, जिसकी स्थापना सेवा निवृत्त ब्रिटिश अधिकारी ए.ओ.ह्यूम की सहायता की गई थी, की पूर्वगामी थी।

•1895 में भारतीय राष्ट्रीन कांग्रेस (INC) के जन्म से नवशिक्षित मध्यम वर्ग के राजनीति में आने के लक्षण दिखाई देने लगे तथा इससे भारतीय राजनीति का स्वरूप ही बदल गया।

•भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला अधिवेशन दिसम्बर 1885 में बम्बई में वोमेश चन्द्र बनर्जी की अध्यक्षता में हुआ।

•बाल गंगाधर तिलक और अरविंद घोष जैसे नेताओं द्वारा चलाए गए "स्वदेशी आंदोलन" के मार्फत् स्वतंत्रता आंदोलन सामान्य अशिक्षित लोगों तक पहंचा।

•1906 में कलकत्ता में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन जिसकी अध्यक्षता दादा भाई नौरोजी ने की थी, ने "स्वराज्य" प्राप्त करने का नारा दिया

•1909 में ब्रिटिश सरकार ने, भारत सरकार के ढांचे में कुछ सुधार लाने की घोषणा की, जिसे मोरले-मिन्टो सुधारों के नाम से जाना जाता है। परन्तु इन सुधारों से निराशा ही प्राप्त हुई क्योंकि इसमें प्रतिनिधि सरकार की स्थापना की दिशा में बढ़ने का कोई प्रयास दिखाई नहीं दिया।

•बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा 19 जुलाई 1905 को भारत के तत्कालीन वाइसराय लॉर्ड कर्ज़न द्वारा की गयी थी। विभाजन 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी हुआ। विभाजन के कारण उत्पन्न उच्च स्तरीय राजनीतिक अशांति के कारण 1911 में दोनो तरफ की भारतीय जनता के दबाव की वजह से बंगाल के पूर्वी एवं पश्चिमी हिस्से पुनः एक हो गए।

•रॉलेट ऐक्ट मार्च 1919 में भारत की ब्रितानी सरकार द्वारा भारत में उभर रहे राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने के उद्देश्य से निर्मित कानून था। इसके अनुसार ब्रितानी सरकार को यह अधिकार प्राप्त हो गया था कि वह किसी भी भारतीय पर अदालत में बिना मुकदमा चलाए और बिना दंड दिए उसे जेल में बंद कर सकती थी। इस कानून के विरोध में देशव्यापी हड़तालें, जूलूस और प्रदर्शन होने लगे। ‍गाँधीजी ने व्यापक हड़ताल का आह्वान किया।

•13 अप्रेल 1919 को जलियांवाला बाग में हुआ नरसंहार भारत में ब्रिटिश शासन का एक अति घृणित अमानवीय कार्य था।13 अप्रैल 1919 को डॉ॰ सैफुद्दीन किचलू और डॉ॰ सत्यपाल की गिरफ्तारी के विरोध में जलियाँवाला बाग में लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई। अमृतसर में तैनात फौजी कमांडर जनरल डायर ने उस भीड़ पर अंधाधुंध गोलियाँ चलवाईं। हजारों लोग मारे गए। भीड़ में महिलाएँ और बच्‍चे भी थे। यह घटना ब्रिटिश हुकूमत के काले अध्‍यायों में से एक है जिसे जालियाँवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाना जाता है।

•प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के बाद मोहनदास करमचन्द गांधी कांग्रेस के निर्विवाद नेता बने। इस संघर्ष के दौरान महात्मा गांधी ने अहिंसात्मक आंदोलन की नई तरकीब विकसित की, जिसे उसने "सत्याग्रह" कहा। गांधी जो स्वयं एक श्रद्धावान हिंदु थे, सहिष्णुयता, सभी धर्मों में भाई में भाईचारा, अहिंसा व सादा जीवन अपनाने के समर्थक थे। इसके साथ, जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचन्द्र बोस जैसे नए नेता भी सामने आए व राष्ट्रीय आंदोलन के लिए संपूर्ण स्वधतंत्रता का लक्ष्य अपनाने की वकालत की।

•असहयोग आंदोलन सितम्बर 1920 से फरवरी 1922 के बीच महात्मा गांधी तथा भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया गया, जिसने भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन को एक नई जागृति प्रदान की। जलियांवाला बाग नरसंहार सहित अनेक घटनाओं के बाद गांधी जी ने अनुभव किया कि ब्रिटिश हाथों में एक उचित न्याृय मिलने की कोई संभावना नहीं है इसलिए उन्हों ने ब्रिटिश सरकार से राष्ट्रं के सहयोग को वापस लेने की योजना बनाई और इस प्रकार असहयोग आंदोलन की शुरूआत की गई और देश में प्रशासनिक व्यवस्थां पर प्रभाव हुआ।

•असहयोग आंदोलन असफल रहा। इसलिए राजनैतिक गतिविधियों में कुछ कमी आ गई थी। साइमन कमीशन को ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत सरकार की संरचना में सुधार का सुझाव देने के लिए 1927 में भारत भेजा गया। इस कमीशन में कोई भारतीय सदस्यस नहीं था और सरकार ने स्वराज के लिए इस मांग को मानने की कोई इच्छा। अत: इससे पूरे देश में विद्रोह की एक चिंगारी भड़क उठी तथा कांग्रेस के साथ मुस्लिम लीग ने भी लाला लाजपत राय के नेतृत्व में इसका बहिष्कार करने का आव्हान किया। इसमें आने वाली भीड़ पर लाठी बरसाई गई और लाला लाजपत राय, जिन्हें शेर-ए-पंजाब भी कहते हैं, उपद्रव से पड़ी चोटों के कारण शहीद हो गए।

•महात्मा गांधी ने नागरिक अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसकी शुरूआत दिसंबर 1929 में कांग्रेस के सत्र के दौरान की गई थी। इस अभियान का लक्ष्य ब्रिटिश सरकार के आदेशों की संपूर्ण अवज्ञा करना था। इस आंदोलन के दौरान यह निर्णय लिया गया कि भारत 26 जनवरी को पूरे देश में स्वसतंत्रता दिवस मनाएगा। अत: 26 जनवरी 1930 को पूरे देश में बैठकें आयोजित की गई और कांग्रेस ने तिरंगा लहराया।

•ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन को दबाने की कोशिश की तथा इसके लिए लोगों को निर्दयतापूर्वक गोलियों से भून दिया गया, हजारों लोगों को मार डाला गया। गांधी जी और जवाहर लाल नेहरू के साथ कई हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया। परन्तुट यह आंदोलन देश के चारों कोनों में फैल चुका था। इसके बाद ब्रिटिश सरकार द्वारा गोलमेज सम्मे।लन आयोजित किया गया और गांधी जी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेालन में लंदन में भाग लिया। परन्तुे इस सम्मेनलन का कोई नतीजा नहीं निकला और नागरिक अवज्ञा आंदोलन पुन: जीवित हो गया।

•विदेशी निरंकुश शासन के खिलाफ प्रदर्शन स्वरूप दिल्ली में सेंट्रल असेम्बली हॉल (अब लोकसभा) में बम फेंकने के आरोप में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को गिरफ्तार किया गया था। 23 मार्च 1931 को उन्हें फांसी की सजा दे दी गई।

•भारत छोड़ो आंदोलन अगस्त 1942 में गांधी जी ने शुरू किया तथा भारत छोड़ कर जाने के लिए अंग्रेजों को मजबूर करने के लिए एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन ''करो या मरो'' आरंभ करने का निर्णय लिया। इस आंदोलन के बाद रेलवे स्टेकशनों, दूरभाष कार्यालयों, सरकारी भवनों और अन्ये स्थायनों तथा उप निवेश राज के संस्थानों पर बड़े स्तर पर हिंसा शुरू हो गई। इसमें तोड़ फोड़ की ढेर सारी घटनाएं हुईं और सरकार ने हिंसा की इन गतिविधियों के लिए गांधी जी को उत्तरदायी ठहराया और कहा कि यह कांग्रेस की नीति का एक जानबूझ कर किया गया कृत्यं है।

•इस बीच नेता जी सुभाष चंद्र बोस, जो अब भी भूमिगत थे, कलकत्ता में ब्रिटिश नजरबंदी से निकल कर विदेश पहुंच गए और ब्रिटिश राज को भारत से उखाड़ फेंकने के लिए उन्होंमने वहां इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) या आजाद हिंद फौज का गठन किया।

•द्वितीय विश्व युद्ध सितम्बर 1939 में शुरू हुआ और भारतीय नेताओं से परामर्श किए बिना भारत की ओर से ब्रिटिश राज के गर्वनर जनरल ने युद्ध की घोषणा कर दी। सुभाष चंद्र बोस ने जापान की सहायता से ब्रिटिश सेनाओं के साथ संघर्ष किया और अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों को ब्रिटिश राज के कब्जे से मुक्ते करा लिया तथा वे भारत की पूर्वोत्तर सीमा पर भी प्रवेश कर गए।

•सुभाष चंद्र बोस 1945 में जापान ने पराजय होने के बादएक सुरक्षित स्थान पर आने के लिए हवाई जहाज से चले परन्तु् एक दुर्घटनावश उनके हवाई जहाज के साथ एक हादसा हुआ और उनकी मृत्यु हो गई। "''तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हेंह आजादी दूंगा'' - उनके द्वारा दिया गया सर्वाधिक लोकप्रिय नारा था, जिसमें उन्होंंने भारत के लोगों को आजादी के इस संघर्ष में भाग लेने का आमंत्रण दिया।

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•द्वितीय विश्व् युद्ध समाप्त होने पर ब्रिटिश प्रधान मंत्री क्लेमेंट एटली के नेतृत्व में लेबर पार्टी शासन में आई। लेबर पार्टी आजादी के लिए भारतीय नागरिकों के प्रति सहानुभूति की भावना रखती थी। मार्च 1946 में एक केबिनैट कमीशन भारत भेजा गया, जिसके बाद भारतीय राजनैतिक परिदृश्य का सावधानीपूर्वक अध्य्यन किया गया, एक अंतरिम सरकार के निर्माण का प्रस्तााव दिया गया

•जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का निर्माण किया गया। जबकि मुस्लिम लीग ने संघटक सभा के विचार विमर्श में शामिल होने से मना कर दिया और पाकिस्तािन के लिए एक अलग राज्य बनाने में दबाव डाला।

•लॉर्ड माउंटबेटन, भारत के वाइसराय ने भारत और पाकिस्तारन के रूप में भारत के विभाजन की एक योजना प्रस्तुत की और तब भारतीय नेताओं के सामने इस विभाजन को स्वीाकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि मुस्लिम लीग अपनी बात पर अड़ी हुई थी।

•15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ और जवाहर लाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और 1964 तक उनका कार्यकाल जारी रहा।

•26 जनवरी 1950 को यह संविधान प्रभावी हुआ और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया।

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