Skip to main content

Join Our community

To get instant updates please join our community--

1-Subscribe via email to get updates of new post in your email inbox.
(To subscribe plz  go to the end of this page)
                           Or

2-Join our Facebook group.
Click here to join.
                          Or

3-Like us on Facebook.
Click here to like.
                          Or

4-Follow us on Twitter.
(CLIck here to follow)
                      

Thanks.

Comments

Popular posts from this blog

रहीम दास जी के 15 प्रसिद्ध दोहे हिंदी अर्थ सहित

          🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 1-बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय. रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय. अर्थ : मनुष्य को सोचसमझ कर व्यवहार करना चाहिए,क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा. 🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 2-रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय. टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय. अर्थ : रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है. 🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 3-रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि. जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि. अर्थ : रहीम कहते हैं कि बड़ी वस्तु को देख कर छोटी वस्तु को फेंक नहीं देना चाहिए. जहां छोटी सी सुई काम आती है, वहां तलवार बेचारी क्या कर सकती है? 🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 4-रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ ब...

कबीरदास जी के 15 प्रसिद्ध दोहे हिंदी अर्थ सहित

🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 1-बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय। ➡अर्थ : जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला. जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है. 🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 2-तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय, कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय। ➡अर्थ : कबीर कहते हैं कि एक छोटे से तिनके की भी कभी निंदा न करो जो तुम्हारे पांवों के नीचे दब जाता है. यदि कभी वह तिनका उड़कर आँख में आ गिरे तो कितनी गहरी पीड़ा होती है ! 🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 3-बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि, हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि। ➡अर्थ : यदि कोई सही तरीके से बोलना जानता है तो उसे पता है कि वाणी एक अमूल्य रत्न है। इसलिए वह ह्रदय के तराजू में तोलकर ही उसे मुंह से बाहर आने देता है. 🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 4-अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप, अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप। ➡अर्थ : न तो अधिक बोलना अच्छा है, न ही जरूरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक है. जैसे बहुत अधिक वर्षा भी अच्छ...

Contact us

Hello               If u want to contact us regarding any QUIERY , suggestions , question or any other problem please contact us on our  ON OUR FACEBOOK PAGE  FACEBOOK PAGE