"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश
हूं
"काम में खुश हूं," आराम में खुश हू
"आज पनीर नहीं," दाल में ही खुश
हूं
"आज गाड़ी नहीं," पैदल ही खुश
हूं
"दोस्तों का साथ नहीं,"
अकेला ही खुश हूं
"आज कोई नाराज है," उसके इस
अंदाज से ही खुश हूं
"जिस को देख नहीं सकता,"
उसकी आवाज से ही खुश हूं
"जिसको पा नहीं सकता,"
उसको सोच कर ही खुश हूं
"बीता हुआ कल जा चुका है,"
उसकी मीठी याद में ही खुश हूं
"आने वाले कल का पता नहीं,"
इंतजार में ही खुश हूं
"हंसता हुआ बीत रहा है पल," आज
में ही खुश हूं
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश
हूं
"अगर दिल को छुआ, तो जवाब
देना"
"वरना बिना जवाब के भी खुश
हूं.
🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 1-बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय. रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय. अर्थ : मनुष्य को सोचसमझ कर व्यवहार करना चाहिए,क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा. 🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 2-रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय. टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय. अर्थ : रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है. 🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 3-रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि. जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि. अर्थ : रहीम कहते हैं कि बड़ी वस्तु को देख कर छोटी वस्तु को फेंक नहीं देना चाहिए. जहां छोटी सी सुई काम आती है, वहां तलवार बेचारी क्या कर सकती है? 🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯 4-रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ ब...
Comments
Post a Comment